Final hearing in Bhopal gas scandal case, court reserved decision, Mp news, Bhopal news : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में साल 1984 में हुई दुनिया की भीषण औद्योगिक त्रासदी में से एक भोपाल गैस कांड मामले में शनिवार को अंतिम सुनवाई हुई। भोपाल की जिला न्यायालय में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट विधान महेश्वरी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 18 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रख लिया है। दरअसल, साल 1884 में दो-तीन दिसम्बर की रात यहां डाऊ केमिकल्स कम्पनी के यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोग मौत की नींद सो गये थे और लाखों लोग इससे प्रभावित हुए थे। इस गैस त्रासदी का मंजर आज भी लोग याद करते हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस त्रासदी में जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया था, आज भी उन्हें इसे सोच कर डर लगता है। इस हादसे के 39 साल बीत जाने के बाद भी आज तक लोगों को न्याय नहीं मिल पाया है।
कोर्ट में इस मामले में पांच घंटे बहस चली
भोपाल की जिला अदालत में शनिवार को मामले की अंतिम सुनवाई हुई। कोर्ट में इस मामले में पांच घंटे बहस चली। डाऊ केमिकल की तरफ से पक्ष रखने के लिए 15 वकील पेश हुए। इनमें सीनियर अधिवक्ता सिदार्थ लुथरा (भारत सरकार के पूर्व एएसजी) और रवीन्द्र श्रीवास्तव शामिल थे। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फोर्मेशन एंड एक्शन की तरफ से अवि सिंह और सीबीआई की तरफ से सियाराम मीना ने पैरवी में हिस्सा लिया। पूरी बहस इस बात पर थी कि क्या डीओडब्ल्यू केमिकल कम्पनी भारत की अदालत के अधिकार क्षेत्र में आती है कि नहीं। इससे पहले पिछली सुनवाई में विशेष न्यायाधीश विधान माहेश्वरी ने डाउ केमिकल्स मामले की सुनवाई की थी। इस सुनवाई में भी डाउ केमिकल्स कम्पनी की तरफ से 10 वकीलों की एक फौज कम्पनी का पक्ष रखने के लिए पहुंची थी। इसके बाद न्यायधीश ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 06 जनवरी 2024 की तारीख दे दी थी।
2012 में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर फैसला किया था
पिछली सुनवाई में भी कम्पनी के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि इस न्यायालय का क्षेत्राधिकार न होने पर आगामी स्तर पर तर्क करना चाहते हैं। साथ ही, उन्होंने कहा था कि उनका क्लाइंट एक मल्टी नेशनल अमरीकी कम्पनी है। ऐसे में भारत की अदालत उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई जूरिडिक्शन नहीं रखती है। इस पर भोपाल ग्रुप फोर इन्फोरमेशन एवं एक्शन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अवी सिंह ने आपत्ति जतायी थी। सिंह ने कहा था कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2012 में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर फैसला किया था। इस प्रकार डाउ केमिकल को मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए।
39 साल में तामील हुआ था समन
कम्पनी को 39 सालों में कुल सात बार समन भेजा गया है। इसमें 7वां समन तामील हुआ। इसके बाद 39 साल पहली बार कम्पनी की ओर से कोई प्रतिनिधि कोर्ट में पक्ष रखने उपस्थित हुआ था। यह मामला अमरीकी संसद में भी उठ चुका है। इतना ही नहीं, इस कम्पनी को भारत से भगोड़ा घोषित किया गया है। भोपाल में गैस त्रासदी के दंश को झेल रहे लोगों के लिए काम करनेवाली संस्था भोपाल ग्रुप का इनफॉरमेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढिंगरा ने बताया कि यूनियन कार्बाइड कम्पनी भोपाल में हुए सबसे बड़े कत्लेआम और भारत की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के लिए जिम्मेदार है। डाऊ केमिकल कम्पनी के लोग भोपाल कोर्ट में पेश हुए हैं। उनकी ओर से आज भी अदालत में यह बताया गया है कि वह हमारे देश में व्यापार तो कर सकते हैं, लेकिन हमारे देश के कानून की परिधि में वह नहीं आते हैं। इसी बात को लेकर न्यायालय में तर्क हुए। डाउ केमिकल ने यूनियन कार्बाइड कम्पनी को खरीदा है और एक भगोड़े को वह शरण देती हुई आ रही है।