रूस- यूक्रेन के बीच चल रहा विवाद अब चरम पर है। पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में रूस समर्थित विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों को मान्यता दे दी। इसके बाद पुतिन ने रक्षा मंत्रालय को पूर्वी यूक्रेन के दोनों अलगाववादी क्षेत्रों डोनेट्स्क व लुगांस्क में रूसी सैनिकों को भेजने का आदेश दे दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने रूसी हमले के खतरे को और अधिक बढ़ा दिया है। अमेरिका युद्ध के खतरे को देखते हुए अपने दूतावास को पश्चिमी यूक्रेन से हटाकर पोलैंड ले जा रहा है। इससे पहले वह दूतावास को कीव से लवीव लेकर आया था। मौजूदा हालत पर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई है और एक बैठक बुलाई। इस बीच अमेरिका समेत तमाम यूरोपिए देश युद्ध के खतरे को टालने की कोशिश में लगे हैं। भारत ने भी पूरे मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। यूक्रेन के ताजा संकट पर भारत ने अपना स्टैंड दोहराते हुए कहा कि दोनों पक्षों को मिलकर कूटनीतिक तरीके से समाधान निकालना चाहिए। युद्ध से किसी भी समस्या का हल नहीं निकलने वाला है।
संयम बरतें दोनों पक्ष: भारत
यूक्रेन पर यूएनएससी की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हम सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान करते हैं। हमें विश्वास है कि इस मुद्दे को केवल राजनयिक बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है। नागरिकों की सुरक्षा आवश्यक है। 20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहते और पढ़ते हैं। भारतीयों की सलामती हमारी प्राथमिकता है। रूस के साथ यूक्रेन की सीमा पर बढ़ता तनाव गहरी चिंता का विषय है। इन घटनाक्रमों में क्षेत्र की शांति व सुरक्षा को कमजोर करने की क्षमता है।
यूएनएससी में ब्रिटेन और अमेरिका ने क्या कहा
यूएनएससी की मीटिंग में ब्रिटेन ने कहा है कि रूस को अपना वह फैसला वापस लेना चाहिए जिसमें यूक्रेन के दो हिस्सों को अलग देश के रूप में मान्यता दी गई है। वहीं अमेरिका ने कहा कि रूस का ताजा फैसला अखंडता और संप्रभुता को चुनौती है। साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन है। अमेरिका ने आगे कहा कि पुतिन का यह कदम साफ करता है कि रूस यूक्रेन पर आगे आक्रमण कर सकता है।