New Delhi news : यूजीसी-नेट परीक्षा में पायी गयीं विसंगतियों और उसके बाद इसे रद्द किये जाने के खिलाफ स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई दिल्ली) के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने शिक्षा मंत्रालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को समाप्त करने और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से तत्काल इस्तीफा देने की भी मांग की।
पूरी शिक्षा प्रणाली का मजाक बन गया
इस मौके पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष अविजित घोष ने कहा कि एनटीए की स्थापना के बाद से ही वह पूरी शिक्षा प्रणाली का मजाक बना रहे हैं। एनटीए इन परीक्षाओं के संचालन में पूरी तरह से अक्षम रहा है, जैसा कि नीट में पेपर लीक, सीयूईटी परीक्षा में विसंगतियां और अब यूजीसी नेट 2024 परीक्षा से मौजूदा समझौता स्पष्ट है। यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि नेट परीक्षा रद्द होने से इस साल बड़ी संख्या में छात्रों के पीएचडी प्रवेश की सम्भावना भी खतरे में पड़ जायेगी। विश्वविद्यालयों को पीएचडी पदों के लिए नेट को मानदंड बनाये बिना अलग से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। इन बार-बार की विफलताओं से निष्पक्ष और सुरक्षित परीक्षाओं की गारंटी देने की एनटीए की क्षमता गम्भीर रूप से प्रभावित होती है। हममें से बहुत से लोगों ने नेट परीक्षा की तैयारी के लिए संघर्ष किया है और अब कुछ लोगों की अक्षमता के कारण अनगिनत छात्रों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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अनियमितताओं की पारदर्शी और स्वतंत्र जांच की जाये
उन्होंने कहा कि यूजीसी नेट परीक्षा से जुड़ी कथित अनियमितताओं की पारदर्शी और स्वतंत्र जांच की जाये। हम एनटीए को परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी से मुक्त करने और यूजीसी के सीधे अधिकार क्षेत्र में एक अधिक जवाबदेह और मजबूत परीक्षा संचालन प्रणाली स्थापित करने की भी मांग करते हैं। एसएफआई दिल्ली के संयुक्त सचिव सूरज ने कहा कि छात्र समुदाय निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली की मांग में एकजुट है। अनगिनत छात्रों का भविष्य दांव पर है और शिक्षा मंत्रालय को इन महत्त्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार द्वारा स्थापित एनटीए के तहत पेपर लीक और धोखाधड़ी एक आम बात हो गयी है।