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Raksha Bandhan  : हर बाधा से मुक्त रहेगा भाई, राखी बांधते समय बहनें करें यह काम

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Religious, Dharma-Karma, raksha Bandhan Spirituality, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious  : श्रावण मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाने की दशकों पुरानी परंपरा रही है। हालांकि, इस बार भद्रा लगने से कुछ लोग राखी का यह पावन पर्व 31 अगस्त को भी मनाएंगे। भाई-बहन के आपसी प्रेम को समर्पित इस पर्व के मौके पर बहनें भाइयों की कलाई पर जहां रंग-बिरंगी राखियां बांधती हैं तो भाई इसके बदले में बहन को उपहार और उसकी रक्षा का वचन देता है। सनातन धर्म में वर्णत विधान के अनुसार राखी हमेशा शुभ मुहूर्त को केंद्र में रखकर ही बांधनी चाहिए। इसी तरह हमारे धर्म में मंत्रों का भी विशेष महत्व है। कहते हैं रक्षा बंधन के मौके पर बहनों को रक्षा सूत्र बांधने के वक्त एक खास मंत्र पढ़ना चाहिए। यह मंत्र भाइयों को हर बाधाओं से मुक्त रखता है। आखिर क्या है यह मंत्र, आइये जानें…

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:

इसका अर्थ है ‘जो रक्षा धागा परम कृपालु राजा बलि को बांधा गया था, वही पवित्र धागा मैं तुम्हारी कलाई पर बांधती हूं, जो तुम्हें सदा के लिए विपत्तियों से बचाएगा’। भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बंधने के बाद भाई से वचन लेना चाहिए कि ‘मैं उस पवित्र धागे की बहन के दायित्व की कसम खाता हूं, मैं आपकी हर परेशानी और विपत्ति से हमेशा रक्षा करूंगा’। धर्म ग्रंथों में कई जगहों पर यह उल्लेख मिलता है कि जब भी किसी व्यक्ति की कलाई पर कोई रक्षा/पवित्र धागा बांधा जाता है तो उसी क्षण जातक को उपरोक्त  मंत्र का जाप करना चाहिए। यह जीवन के सभी क्षेत्रों में अधिक से अधिक प्रगति और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करते समय भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है और भाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

… और द्रौपदी ने साड़ी का पल्लू फाड़ श्रीकृष्ण की उंगली में बांध दिया

भाईचारे के प्रेम का प्रतीक कहे जाने वाले इस पर्व को प्राचीन काल से ही मनाया जाता रहा है। इस पर्व से कई पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। एक कहानी के अनुसार, महाभारत काल के दौरान, भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को मारते हुए अपनी एक उंगली काट दी थी। जब द्रौपदी की दृष्टि भगवान कृष्ण की कटी हुई उंगली से निकले रक्त पर पड़ी, तो उसने घबराकर जल्दी से अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ दिया और रक्तस्राव को रोकने के लिए श्री कृष्ण की उंगली पर कपड़ा बांध दिया। कहते हैं द्रौपदी ने श्री कृष्ण को सावन मास की पूर्णिमा तिथि को यह रक्षा सूत्र बांधा था। इसलिए, ऐसा माना जाता है कि राखी बांधने की परंपरा इसी के बाद शुरू हुई ।

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