Worship like this every wish will be fulfilled : इस तरह करें पूजा। अवश्य पूरी होगी हर मनोकामना। अधिकतर लोग शिकायत करते हैं। वे खूब पूजा-पाठ, जप-तप करते हैं। इसके बाद भी दुख, कष्ट और परेशानी बनी रहती है। वे नहीं जानते कि इसका कारण वे खुद हैं। जहां-तहां भटकने और बेमतलब के उपाय से कोई फायदा नहीं होता है। बेमतलब व दिशाहीन काम से फल फल कैसे मिलेगा? सफलता के लिए जरूरी है कि काम में सही दिशा में हो। उसे सही तरीके से किया जाए। इसके लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं है। बहुत मेहनत करने की भी जरूरत नहीं है। कुछ बातों पर ध्यान दें। सही दिशा में प्रयास करें। आप बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
प्रधान के साथ सहायक देवता का भी ध्यान जरूरी
कई लोग खूब पूजा करते हैं। लेकिन अंग या सहायक देवता की उपेक्षा करते हैं। परिणामस्वरूप उनके हाथ खाली रहते हैं। एक तरह से उनकी मेहनत बेकार जाती है। ध्यान रहे कि हर देवता के कुछ अंग देवता होते हैं। मुख्य देवता के आवाहन पर उनसे पहले उस स्थान पर पहुंचते हैं। साधना काल में प्रधान देवता के साथ भैरव, योगिनी, क्षेत्रपाल, हनुमान आदि का आगमन अवश्य होता है। आप इनका आवाहन करें अथवा न करें। ये हर हाल में आते ही हैं। उनकी पूजा या जप न करना गलत है। एक तरह से यह अधूरी साधाना है। ऐसे में फल मिलना भी कठिन होता है। अत: फल चाहते हैं तो ध्यान रखें। प्रधान देवता के साथ इनका भी जप आवश्यक है।
पूजा का समय और स्थान निश्चित रखें
यदि उपासना का लाभ चाहते हैं तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। पूजा का समय और स्थान निश्चित हो। पूजा के दौरान जब आप आवाहन करते हैं तो मुख्य देवता आएं या न आएं अंग देवता अवश्य आते हैं। क्रम लगातार रहने पर वे निश्चित समय व स्थान पर खुद उपस्थिति होने लगते हैं। आप इसे पूजा का परीक्षण क्रम मानें। तय समय व स्थान पर पूजा न होने से उन्हें खाली लौटना होता है। इससे वे नाराज होते हैं। प्रसन्न होने पर वे मुख्य देवता से तारतम्य बनाने का काम करते हैं। जब मूल देवता आप की ओर आकर्षित होते हैं, तभी आपको लाभ मिलेगा। अतः पूजा में मात्रिका, योगिनी, भैरव, हनुमान, क्षेत्रपाल, ग्राम देवता, स्थान देवता आदि को जरूर शामिल करें। इस तरह करें पूजा तो पूरी होगी हर मनोकामना।
देवता तक पहुचंता है हर चढ़ावा
कई लोग मानते हैं कि देवता कुछ खाते, पीते, पहनते या सूंघते नहीं। यह सरासर गलत है। चढ़ावे का बहुत महत्व है। इससे आपके भक्तिभाव का पता चलता है। सभी जानते हैं ब्रह्मांड का मूल तत्व एक है।हर वस्तु का मूल सभी इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन है। अंत में वह तरंग मात्र रह जाती है। इस तरह हर वस्तु में एक निश्चित ऊर्जा होती है। देवता को अर्पित वस्तुएं भी तरंग रूप में उन तक पहुंचती है। इसीलिए हर देवता की पूजन सामग्री अलग होती है। उनके पुष्प आदि भी अलग होते हैं। उनसे खास प्रकार की ऊर्जा निकलती है। वह अंग और मूल देवता से जुड़ती है। अतः पूजा में स्पष्ट रूप से अंग व मुख्य देवता को सामग्री अर्पित करनी चाहिए। यदि आप ऐसा करेंगे तो कुछ ही दिनों में आपको सकारात्मक अंतर साफ महसूस होने लगेगा।