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Big Fraud : बाप-बेटे और सीए ने किया 54 करोड़ रुपये का शेयर घोटाला, कोलकाता पुलिस से नहीं संभाला मामला तो सीबीआई को लेना पड़ा केस

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National news, Kolkata News, Chhattisgarh news, durg news : पैसे की लालच में देश में एक से बढ़कर एक अपराध होते रहे हैं। अपहरण से लेकर हत्या तक की घटना घट चुकी है। फर्जीवाड़ा तो आम बात है। मामला कुछ हजार और लाख रुपये तक की हो तो दूसरी बात है। लेकिन, जब यह फर्जीवाड़ा करोड़, यहां तक कि 54 करोड़ रुपये का हो तो हंगामा बरपेगा ही। शेयर घोटाले से जुड़े एक ऐसे ही बड़े मामले में सीबीआई ने पिता पुत्र समेत उसके सीए को गिरफ्तार किया है। पिता सुरेश कोठारी, बेटा सिद्धार्थ तथा सीए श्रीपाल को सीबीआई की टीम ने छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया है। सीबीआई की 20 सदस्यीय टीम ने शुक्रवार को दुर्ग में सुरेश कोठारी के घर में दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार किया है। इससे पूर्व उनसे लगभग छह घंटे की मैराथन पूछताछ चली।

कोलकाता पुलिस से नहीं संभला मामला तो हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी कमान

मामले की तह में जाएं तो कोलकाता निवासी प्रकाश जायसवाल ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील की थी कि उनके 54 करोड़ रुपए के शेयर को सुरेश कोठारी, सिद्धार्थ कोठारी और उसके सीए श्रीपाल कोठारी ने हड़प लिया है। यह मामला 2021 का है, जिसमें कोलकाता पुलिस ने तीनों के खिलाफ 420 सहित कई गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। कोलकाता पुलिस की टीम गिरफ्तारी के लिए पांच बार दुर्ग पहुंची, लेकिन आरोपी नहीं मिले। इस दौरान दुर्ग पुलिस पर भी सहयोग नहीं करने का आरोप लगा, जिसके बाद हाईकोर्ट ने केस सीबीआई को सौंप दिया।

क्या है मामला, जानें विस्तार से

दरअसल, महावीर आवास कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2010-11 में रजत बिल्डकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 97125 शेयर रिस्पेक्ट टी कॉम प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता से 4,85,625 रुपये में खरीदे थे। सभी लेन-देन महावीर कंपनी के खातों में दर्ज थे, जबकि रजत बिल्डकॉन के ऑडिट किए गए दस्तावेज और वार्षिक विवरण में ये शेयर महावीर कंपनी के नाम से नहीं, बल्कि महावीर कंपनी के पूर्व सह-निदेशक सुरेश कोठारी (62125 शेयर) और वैधानिक ऑडिटर सीए श्रीपाल कोठारी (35000 शेयर) के नाम से दिख रहे थे। जब शेयर खरीदे गए तो सुरेश कोठारी महावीर कंपनी के निदेशकों में से थे और उन्होंने 2018 में इस्तीफा दे दिया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सुरेश और श्रीपाल ने परिवार के तीन अन्य सदस्यों के साथ वित्तीय लाभ हासिल करने की साजिश रची और कंपनी के शेयर हासिल करने के लिए जालसाजी की।

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