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यह हृदय नहीं है, पत्थर है : रांची-धनबाद इंटरसिटी ट्रेन में अकेले रो रही थी 9 माह की दुधमुंही मासूम, मां की ममता…

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Jharkhand News,This is not a heart, it is a stone: 9 month old infant was crying alone in the Ranchi-Dhanbad intercity train, mother’s love.. : मां अपनी ममता के लिए ही जानी जाती है। पिता मां के अभाव में बच्चों का लालन-पालन कर सकता है, लेकिन मां नहीं बन सकता। अगर ममता मर जाए तो मां मां नहीं है। उसका हृदय, हृदय नहीं है। पत्थर है। ऐसा ही एक वाकया रांची-धनबाद इंटरसिटी ट्रेन में देखने को मिला है। मीडिया रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार,नौ माह की दुधमुंही बच्ची अकेले ट्रेन की बोगी में रो रही थी। उसकी मां और परिजन ने ट्रेन में उसे अकेला रोता छोड़ दिया। 28 जून की सुबह स्टेशन के कोचिंग कॉम्पलेक्स में खड़ी रांची-धनबाद इंटरसिटी में बच्ची पाई गई। आरपीएफ और रेल पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। आसपास पता लगाने का प्रयास किया गया, लेकिन किसी ने बच्ची के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी।

 कोच  D-6 की 46 नंबर सीट पर पाई गई बच्ची

रांची इंटरसिटी रात में आई थी। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद ट्रेन की बोगियों को रेलवे यार्ड के कोचिंग कॉम्पलेक्स में सफाई के लिए भेज दिया गया। सफाई के दौरान सफाईकर्मी ने सुबह करीब छह बजे बच्ची को ट्रेन के कोच नंबर डी-6 की सीट नंबर 46 पर पाया। उसने अपने सुपरवाइजर और कोचिंग के अन्य रेलकर्मियों को जानकारी दी।

चाइल्डलाइन को सौंप दी गई बच्ची

आरपीएफ को सूचना दी गई। सूचना पाकर आरपीएफ के एएसआई एसबी सिंह और कांस्टेबल प्रवीण कुमार कोचिंग कॉम्पलेक्स पहुंचे। रेलवे अस्पताल से डीएमओ डॉ. केसी प्रसाद भी कोचिंग कॉम्पलेक्स पहुंचे और बच्ची की जांच की। उन्होंने बच्ची को स्वस्थ बताया। आरपीएफ और रेल पुलिस ने बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया।

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