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वैदिक ऋषि ही नहीं, बल्कि राष्ट्र ऋषि भी थे महर्षि दयानंद : प्रधानमंत्री 

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National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि महर्षि दयानंद वैदिक ऋषि ही नहीं, बल्कि राष्ट्र ऋषि भी थे। उन्होंने देश के युवाओं को नयी दिशा देकर शिक्षा का प्रसार किया। पीएम मोदी ने गुजरात के मोरबी में स्वामी दयानंद की जन्मस्थली टंकारा में आयोजित एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समाबोधित करते हुए कहा कि ह्यमहर्षि दयानंद केवल वैदिक ऋषि ही नहीं, बल्कि राष्ट्र ऋषि भी थे। श्री मोदी ने स्वामी जी के योगदान का सम्मान करने और उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आर्य समाज द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने पर खुशी व्यक्त की। पिछले साल इस महोत्सव के उद्घाटन में अपनी भागीदारी पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जब ऐसी महान आत्मा का योगदान इतना असाधारण है, तो उनसे जुड़े उत्सवों का व्यापक होना स्वाभाविक है।” प्रधानमंत्री ने ऐसे उल्लेखनीय व्यक्तित्वों की विरासत को आगे बढ़ाने के महत्त्व पर जोर देते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम हमारी नयी पीढ़ी को महर्षि दयानंद के जीवन से परिचित कराने के लिए एक प्रभावी माध्यम के रूप में काम करेगा।” 

पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद का जन्म गुजरात में हुआ था। वह हरियाणा में सक्रिय रहे थे। उन्होंने दोनों क्षेत्रों के साथ अपने सम्बन्ध पर प्रकाश डाला और अपने जीवन पर स्वामी दयानंद के गहरे प्रभाव को स्वीकार करते हुए कहा कि उनकी शिक्षाओं ने मेरे दृष्टिकोण को आकार दिया है। उनकी विरासत मेरी यात्रा का एक अभिन्न अंग बनी हुई है। उन्होंने स्वामी जी की जयंती के अवसर पर भारत और विदेश में लाखों अनुयायियों को भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि अमृतकाल के शुरूआती वर्षों में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं वर्षगांठ आ गयी है। स्वामी जी के मन में भारत के प्रति जो विश्वास था, उस विश्वास को हमें अमृतकाल में अपने आत्मविश्वास में बदलना होगा। स्वामी दयानंद आधुनिकता के समर्थक और मार्गदर्शक थे। 

श्री मोदी ने दुनिया भर में आर्य समाज संस्थानों के व्यापक नेटवर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि 2,500 से अधिक स्कूलों, कॉलेजों व विश्वविद्यालयों और 400 से अधिक गुरुकुलों में छात्रों को शिक्षित करने के साथ, आर्य समाज आधुनिकता और मार्गदर्शन का एक जीवंत प्रमाण है। उन्होंने समुदाय से 21वीं सदी में नये जोश के साथ राष्ट्र निर्माण की पहल की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया। डीएवी संस्थानों को “स्वामीजी की जीवित स्मृति” बताते हुए उन्होंने उनके निरन्तर सशक्तीकरण का आश्वासन भी दिया। पीएम ने सभी अनुयायियों से डीएवी एजुकेशनल नेटवर्क के माध्यम से छात्रों को माय भारत में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

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