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EMPLOYMENT : 34 महीने से चल रही शिक्षकों की चयन प्रक्रिया, फिर भी नहीं मिले 50,000 शिक्षक, जानिए क्यों…

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Bihar (बिहार) में प्रारंभिक विद्यालयों में करीब 91 हजार पदों पर शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। यह प्रक्रिया पिछले 34 महीनों से चल रही है,फिर भी 50,000 पद रिक्त रह गए  रोजगार की मारामारी के बीच बिहार में प्रारंभिक शिक्षकों के पदों के योग्य उम्मीदवार ना मिलना दुखद है। 

शिक्षा विभाग के अनुसार, ‘योग्य’ अभ्यर्थी नहीं मिल रहे है। चार बार योग्य अभ्यर्थियों के चयन को काउंसेलंग हो चुकी है। जुलाई व अगस्त 2021, फरवरी 2022 में हुई काउंसेलिंग के अलावा हाल ही छूटी हुई नियोजन इकाइयों में चयन का विशेष चक्र हुआ।

40,000 ही बंट सके नियुक्ति पत्र

90 हजार 762 पदों के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के तहत अब तक महज 40 हजार ही नियुक्ति पत्र बांटे जा सके हैं। तीन सामान्य काउंसिलिंग चक्रों के तहत 41 हजार 515 चिनयित हुए। इनमें से 39 हजार 057 की ज्वाइनिंग हुई। 18 अप्रैल के विशेष चक्र में करीब 2300 पदों के लिए काउंसेलिंग के दौरान 1377 का चयन हुआ और 932 को ही नियुक्ति पत्र दिए गए। 445 चयनितों के प्रमाण पत्र संदेहास्पद होने से उनकी जांच चल रही है। इस तरह चार चरणों को मिलाकर 51 हजार प्रारंभिक शिक्षकों के पद रिक्त रह गए हैं।

महिलाओं के आरक्षित अधिक खाली

अब तक की नियुक्ति में सामान्य पुरुष व महिला, ओबीसी पुरुष, ईबीसी पुरुष के ही पद अधिक भरे हैं। सबसे अधिक ओबीसी व ईबीसी श्रेणी की महिलाओं के पद रिक्त रह गए हैं। नियोजन इकाइयों को इस श्रेणी के दावेदार नहीं मिले। राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 फीसदी पदों पर आरक्षण दिया है। पहली से पांचवीं तक में इस श्रेणी में सामान्य कोटि की महिलाओं के भी हजारों पद खाली रह गए हैं। एससी व एसटी महिला व पुरुष दोनों श्रेणी के पद रिक्त रह गए हैं। वैसे अभी आधिकारिक रूप से प्राथमिक निदेशालय जिलों से रिक्त पदों का ब्योरा लेगा।

नहीं मिल रहे इन विषयों के शिक्षक

जो पद खाली हैं उनमें बड़ी तादाद गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी विषयों के शिक्षकों के हैं। नियोजन इकाइयों को योग्य अभ्यर्थियों के आवेदन ही नहीं मिले। वहीं सामाजिक विज्ञान विषय में राज्यभर में सबसे अधिक भीड़ रही। पहले दो चरण की काउंसिलिंग की रिपोर्ट के मुताबिक ही उर्दू शिक्षकों के करीब 14 हजार पदों पर अभ्यर्थी नहीं मिले। जबकि मध्य विद्यालयों में गणित के 60, संस्कृत के 75, अंग्रेजी के 40, हिन्दी के 50 और उर्दू शिक्षकों के 70 फीसदी पद खाली रह गए हैं।

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