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National: पीएम मोदी की हिन्दू वादी छवि और राष्ट्रवाद के तिलिस्म को तोड़ पायेगी कांग्रेस 

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National top news, new Delhi top news, national news, national update, national news : लोकसभा चुनाव में कुछ ही समय शेष रह गया है। सियासी दलों ने इसके लिए अपनी-अपनी गोटी सेट करनी शुरू कर दी है। विपक्षी इंडिया गठबंधन की धुरी कांग्रेस ने भी अब अपने सबसे बड़े नेताओं में से एक पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मैदान में उतारने का एलान कर दिया है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के मणिपुर से महाराष्ट्र के मुंबई तक राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा की घोषणा कर दी है। 

राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होकर 20 मार्च को महाराष्ट्र के मुंबई पहुंच कर सम्पन्न होगी। राहुल 67 दिन की यात्रा के दौरान 6200 किलोमीटर की दूरी तय करनेवाले हैं। कांग्रेस की रणनीति यात्रा के जरिये 14 राज्यों की 355 लोकसभा सीटों को कवर करने की है। मणिपुर टू मुंबई यह भारत न्याय यात्रा नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होकर गुजरेगी। 

इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब

भारत न्याय यात्रा का जो रूट कांग्रेस ने तैयार किया है, इसमें शामिल राज्यों में फिलहाल कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है। इन 14 राज्यों में लोकसभा की कुल 355 सीटें हैं। मणिपुर में 02, नगालैंड में 01, असम में 14, मेघालय में 02, पश्चिम बंगाल में 42, बिहार में 40, झारखंड में 14, ओडिशा में 21, छत्तीसगढ़ में 11, उत्तरप्रदेश में 80, मध्यप्रदेश में 29, राजस्थान में 25, गुजरात में 26 और महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। इन राज्यों में कांग्रेस की हालत पतली है। जिस मणिपुर से कांग्रेस की यात्रा शुरू होनी है, 2019 के चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। नगालैंड में भी पार्टी शून्य पर सिमट गयी थी। वहीं, असम की 14 में से कांग्रेस को 03 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस के लिए हिन्दी बेल्ट; खासकर यूपी और बिहार जैसे राज्यों में मंडल बनाम कमंडल यानी राममंदिर की लहर की काट तलाशने के लिए चुनौती होगी। भारत न्याय यात्रा नाम को इस बात का इशारा माना जा रहा है कि कांग्रेस का जोर जातीय; खासकर ओबीसी पॉलिटिक्स को धार देने की रणनीति पर होगा। जातीय जनगणना की मांग संसद से लेकर राज्यों के चुनाव तक, हर सम्भावित मंच पर कांग्रेस उठाती रही है। 

सामाजिक न्याय यूपी और बिहार में हावी

सामाजिक न्याय यूपी और बिहार की राजनीति में एक बड़ा फैक्टर रहा है। यूपी में भाजपा की गठबंधन सहयोगी सुभासपा, अपना दल सोनेलाल और निषाद पार्टी जैसे दलों के साथ ही बिहार में राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों की सियासत का आधार भी सामाजिक न्याय ही है। कांग्रेस की रणनीति अब कमंडल की काट के लिए जातीय वोट बैंक में आधार तलाशने की हो सकती है। भाजपा ने तीन राज्यों की सरकार द्वारा जातीय समीकरणों का जो गुणा-गणित सेट किया है, उस नयी सोशल इंजीनियरिंग की काट भी कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। भाजपा  ने मध्य प्रदेश में सरकार की कमान मोहन यादव को सौंप कर यूपी और बिहार के यादव मतदाताओं को भी एक संदेश दे दिया है, वहीं भजनलाल शर्मा को सीएम बना कर ब्राह्मणों और विष्णुदेव साय के जरिये आदिवासियों को संदेश दे दिया है। इसके बाद कांग्रेस के लिए चुनौती और भी कड़ी मानी जा रही है। 

कांग्रेस को आंख दिखाकर बोलीं ममता…

बंगाल में टीएमसी ही भाजपा को हरा सकती है 

जनवरी के पहले सप्ताह में कांग्रेस इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर चर्चा कर सकती है। इस बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लगातार कांग्रेस को आंखें दिखाने की कोशिश कर रही है। शुक्रवार को फिर से ममता बनर्जी ने दो टूक कहा है कि बंगाल में केवल तृणमूल कांग्रेस ही भाजपा को सबक सिखा सकती है। इसका मतलब साफ है कि दीदी ने कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया गठबंधन में शामिल लेफ्ट के नेताओं को भी संदेश दे दिया है कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और इंडिया गठबंधन में भी राज्य में इसकी भूमिका बड़ी रहनी चाहिए। 

बंगाल में टीएमसी लड़ेगी और भाजपा को हरायेगी

बता दें कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस आमने-सामने होते हैं। इसके अलावा वामपंथी दल और कांग्रेस के बीच गठबंधन भी बंगाल में रहता है, जिसका सीधा मुकाबला ममता की पार्टी टीएमसी से होता है। ममता ने कहा इंडिया गठबंधन पूरे देश में होगा। बंगाल में टीएमसी लड़ेगी और भाजपा को हरायेगी। उन्होंने कहा कि याद रखें, बंगाल में केवल टीएमसी ही भाजपा को सबक सिखा सकती है, कोई अन्य पार्टी नहीं। इसके पहले उन्होंने कहा था कि भाजपा नागरिकता के मुद्दे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए कर रही है। भाजपा इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह कर रही है। पहले, जिलाधिकारी नागरिकता से जुड़े मामलों का फैसला करते थे, लेकिन अब राजनीति के लिए उनसे ये शक्तियां छीन ली गयी हैं। ममता ने आरोप लगाया कि नागरिकता का मुद्दा उठाने के पीछे भाजपा का एजेंडा धार्मिक आधार पर लोगों को बांटना है। टीएमसी सुप्रीमो ने कहा, ‘वे लोगों को बांटना चाहते हैं। वे किसी को नागरिकता देना चाहते हैं और किसी को नागरिकता नहीं देना चाहते। अगर एक समुदाय को नागरिकता मिल रही है, तब दूसरे समुदाय को भी मिलनी चाहिए। ये भेदभाव गलत है। हम इस भेदभाव के खिलाफ हैं।’

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