– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

Russia -Ukraine war : जिनपिंग भी उठा सकते हैं पुतिन जैसा कदम, भारत को खुद करनी होगी सुरक्षा : यशवंत सिन्हा

IMG 20220307 WA0040

Share this:

भारत के पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तुलना उस ड्राइवर से की है जो किसी दुर्घटना की चिंता किए बगैर फर्राटे से अपनी कार किसी चौराहे पर भी दौड़ा दे। उन्होंने कहा कि कल अगर चीन के राष्ट्रपति शी ज‍िनप‍िंंग भी इस तरह का आचरण करें तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि भारत को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि अगर पाकिस्तान या चीन के साथ उसका संघर्ष होता है तो वह अकेला है और उसे स्वयं ही अपनी सुरक्षा करनी होगी।

भारत को हल निकालना चाहिए था

अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को घेरने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य मंचों पर मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले से एक संदेश यह भी गया है कि वह ‘गलत काम में’ रूस का साथ दे रहा है। सिन्हा ने यह भी कहा कि अपनी सुरक्षा को लेकर रूस की चिंता वाजिब थी, लेकिन युद्ध का उसका तरीका गलत और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विपरीत है। उनके अनुसार यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के साथ ही भारत को रूस से बात करनी चाहिए थी और वार्ता के जरिए मुद्दे का हल निकालने के लिए उसे दोनों देशों पर दबाव बना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘रूस से हमारी बहुत पुरानी दोस्ती है। वह हर मौके पर भारत के काम आया है। वह हमारा बहुत ही बहुमूल्य दोस्त है, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन बहुत नजदीकी दोस्त भी अगर गलती करता है तो दोस्त के नाते हमारा हक बनता है कि हम उसको कहें कि भाई यह गलती मत करो।’’

तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं यशवंत सिन्हा

उन्होंने कहा, ‘हालांकि अभी तक ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है कि भारत सरकार ने ऐसा कुछ किया है। संघर्ष शुरू होने के तुरंत बाद हमारे विदेश मंत्री को वहां जाना चाहिए था और कोशिश करनी चाहिए थी कि पुतिन की मोदी से बात कराएं लेकिन ऐसी कोई पहल भारत की ओर से नहीं हुई।’
सिन्हा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य मंचों पर भारत मतदान से दूर रहा तथा इससे ऐसा लगता है जैसे गलत काम में भारत रूस का साथ दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह जो स्थिति है, इससे बचा जा सकता था।’

पश्चिमी देशों का नेतृत्व कमजोर हो गया है

सिन्हा ने कहा कि उनका मानना है कि वह चाहे अमेरिका हो या यूरोप, पश्चिमी देशों का नेतृत्व कमजोर हो गया और कहीं न कहीं पुतिन को यह एहसास था कि वह अगर किसी तरह का ‘जोखिम भरा कदम’ उठाएंगे तो ‘वेस्टर्न डेमोक्रेसीज’ उनका मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं होंगी। उन्होंने कहा, ‘यह उसी तरह का है जैसे मान लीजिए आप एक गाड़ी चला रहे हैं और किसी चौराहे की ओर बढ़ रहे हैं। दूसरी तरफ से भी एक गाड़ी आ रही है और उसमें एक ऐसा ड्राइवर है जो तेज गति से चौराहे को पार करने पर आमादा है। ऐसे में चौराहे पर बाकी लोग अपनी गाड़ी रोकने की कोशिश करेंगे। गाड़ी रुक गई तब तो ठीक है और नहीं रुकी तो फिर दुर्घटना होनी तय है। लेकिन तेज गति से गाड़ी दौड़ाने वाला ड्राइवर किसी प्रकार की दुर्घटना की चिंता नहीं कर रहा है। आज पुतिन की तुलना मैं उसी ड्राइवर से करूंगा। कल अगर शी चिनफिंग इसी तरह का आचरण करते हैं, तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा।’

भारत को चीन को लेकर चिंता करनी चाहिए

सिन्हा ने कहा कि जिस प्रकार यूक्रेन और रूस के मामले में पूरी दुनिया तटस्थ रह गई, ठीक उसी प्रकार की स्थिति, यदि भारत और चीन के बीच संघर्ष होता है, हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘भारत की दिशा बिलकुल स्पष्ट है। अगर कुछ होता है तो हमारे यहां क्या होगा? एक पाकिस्तान के साथ या फिर चीन के साथ संघर्ष हो सकता है। तो ऐसे में किसी भी संघर्ष में भारत अकेला है और उसे अपनी सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी होगी।’
सिन्हा ने कहा कि भारत को चीन को लेकर जरूर चिंता करनी चाहिए और पूरे इंतजाम करने चाहिए।उन्होंने कहा, ‘हमें किसी गफलत में नहीं रहना चाहिए।’
भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख में सीमा विवाद बहुत पुराना है। वर्ष 2020 के जून महीने में लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और दोनों देशों के बीच फिलहाल गतिरोध को दूर करने के लिए सैन्य स्तरीय वार्ता जारी है।

Share this:




Related Updates


Latest Updates