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Success Speaks : लगन ने किया कमाल तो कामयाबी बन गई बेमिसाल

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Success Comes Slowly, But Takes Grand Shape If Sincerity Continues With Conference : दुनिया का चाहे जो कोई क्षेत्र हो, बड़ी कामयाबी के बारे में बताने की जरूरत कम होती है। बड़ी कामयाबी एक मील का पत्थर बनाती है और उस के माध्यम से नई पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण करती है। लगन मजबूत हो, मेहनत निरंतर हो और खुद पर यकीन हो तो कामयाबी बोलेगी। आज हम आपको एक ऐसी ही कामयाबी के बारे में बता रहे हैं। हम जिस व्यक्ति की सफलता की कहानी बता रहे है, उनका नाम गिरीश मातृभूतम है। इस शख्स को कर्ज लेकर अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी करनी पड़ी थी और अपना स्टार्टअप भी कर्ज लेकर ही शुरू किया था। गिरीश आज दिग्गज कंपनी फ्रेशवर्क्स इंक के संस्थापक और सीईओ हैं। आज उनकी कंपनी अमेरिका की फेमस कंपनियों में से एक बन गई है।

वक्त से पहले ही हालात ने बना दिया मैच्योर

गिरीश का जन्म तमिलनाडु के त्रिची टाउन के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। गिरीश ने बचपन से ही काफी संघर्ष किया है। गिरीश के पिता एक सामान्य सरकारी कर्मचारी थे। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे चैन्नई इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने वर्ष 1992 में एमबीए करने का निर्णय लिया। मगर घर की आर्थिक स्थिति ठीक थी। उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए पिता से पैसे मांगे मगर ये वो वक्त था, जो किसी पिता के लाइफ का सबसे कठिन वक्त वक्त होता हैं। गिरीश के पिता ने पैसों की कमी की वजह से एक रिश्तेदार से कर्ज लिया। गिरीश को इस वक्त ने झकझोर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिरीश को इस घटना ने वक्त से पहले ही परिपक्व और आत्मनिर्भर बनने के लिए मजबूर किया। यही वक्त था जब गिरीश ने पैसे के महत्व को समझा और कुछ बड़ा करने का निर्णय किया।

असफलताओं का किया अनुभव

गिरीश ने कई स्टार्टअप शुरू किया और असफलताओं का अनुभव लिया। गिरीश ने अपने सफल वेंचर की स्थापना करने से पहले अमेरिका में कई कंपनियों में काम किया। उन्होंने जोहो में 9 वर्ष तक बेहतर वेतन वाली नौकरी करने के बाद एक वेबसाइट पर आए एक कमेंट ने उनके लाइफ को एक नए मोड़ दिया। दरअसल, इसी से गिरीश को एक आईटी हेल्प डेस्क प्रोडक्ट बनाने का आइडिया आया। उन्होंने वर्ष 2010 में अपने दोस्त कलीग शान कृष्णासामी के साथ मिलकर चेन्नई में फ्रेशवर्क्स की शुरुआत की। उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत करने के लिए रिस्क लिया और नौकरी छोड़ दी। उन्होंने अपना सारा वक्त स्टार्ट अप को दिया। उन्होंने निरंतर मेहनत करके अपनी कंपनी को सफलता दिलाई। वर्ष 2011 में फ्रेशवर्क्स को पहली फंडिंग मिली। एसीसीईएल ने इसमें 10 लाख डॉलर का इनवेस्टमेंट किया।

8 साल में कंपनी का रेवेन्यू बन गया 100 मिलियन डॉलर

कंपनी को उसी वर्ष अपना पहला कस्टमर भी मिला। इसके बाद फ्रेशवर्क्स ने अपने प्रोडक्ट रेंज का विस्तार किया और सेल्स और सीआरएम को भी जोड़ा। इसका वर्ष 2021 में वर्ष रिकरिंग रेवेन्यू 49 प्रतिशत बढ़कर 30 करोड़ डॉलर को पार कर गया। इतना ही नहीं इसके साथ ही उन्होंने स्टार्ट अप में निवेश के लिए एक फंड भी बनाया। 8 वर्ष के भीतर उनकी कंपनी का रेवेन्यू 0 से 100 मिलियन डॉलर पार कर गया। इसके साथ ही अगले 1.5 साल में ये कंपनी 200 मिलियन डॉलर की बन गई।

500 कर्मचारियों को बना दिया करोड़पति

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गिरीश ने वर्ष 2021 में न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में ब्लॉकबस्टर आईपीओ के माध्यम से 1 मिलियन डॉलर जुटाया और रातों रात अपने 500 कर्मचारियों को करोड़पति भी बना दिया था। ऐसी उपलब्धि बिजनेस के क्षेत्र में बहुत कम बिजनेसमैन को हासिल हुई होगी।

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