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Bhagwat Katha : सन्तान वही उत्तम, जो माता-पिता का रुख देख कर कार्य करे : पंडित रामदेव पांडेय

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Religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm : रोहित, राम व भीष्म ने पिता के मनोभाव को पढ़ कर स्वयं को पिता के आनन्द और सत्य के लिए राजकाज का त्याग कर दिया। उत्तम पुत्र या पुत्री वह है, जो माता-पिता के रुख या मनोभाव को समझ कर उसका निदान करे, जैसे हरिश्चन्द्र का पुत्र रोहित, दशरथ के राम और शान्तनु के भीष्म हैं। मध्यम सन्तान वह है‌, जो माता-पिता के कहने पर कोई कार्य करे और अधम सन्तान वह है, जो माता-पिता की बातों और मनोभाव का विपरीत कार्य करे। ठीक इसी तरह पुत्र भी चार तरह के होते हैं…सेवक, उदासीन, महाजन और शत्रु, जो माता-पिता को मारे-पीटे धुंधकारी, दुर्योधन की तरह वह शत्रु सन्तान है, जो पहले जन्म का शत्रु इस जन्म में बदला लेने आया है, महाजन पुत्र वह है, जो जन्म के बाद खा-पीकर मृत्यु को प्राप्त कर लिया। वह महाजन है, जो पहले जन्म का कर्ज वसूलने आया है। उदासीन सन्तान वह है, जो माता-पिता के लिए कुछ नहीं किया, सेवा भी नहीं की और उत्तम सन्तान वह है, जिसने माता-पिता की सेवा दास या सेवक की तरह की है। भीष्म चरित्र के प्रसंग में पंडित रामदेव पाण्डेय ने आज राम जानकी मंदिर हाउसिंग कालोनी बरियातू में देवी भागवत की कथा के पहले दिन कही।

मित्र या हितैषी दुश्चरित्र न हो, भले दरिद्र हो

भागवत कथा के सातवें दिन राम जानकी मंदिर हाउसिंग कालानी बरियातू में पंडित रामदेव पाण्डेय ने कहा कि मित्र या हितैषी भले दरिद्र हो, सुदामा और जटायु की तरह हो, लेकिन दुर्योधन और जयद्रथ की तरह नहीं हो। रिश्ते पैसा और पावर देख कर नहीं करें, बल्कि धर्म और ज्ञान देख कर करें। कृष्ण ने सुदामा को सम्बन्ध में यही सन्देश दिया है। यह कथा तीन अगस्त तक चलेंगी। इसके बाद शिवपुराण कथा इसी मंच से बारह अगस्त तक होगी। कथा का समय दोपहर साढ़े तीन बजे से साढ़े छह बजे तक होती है।

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