पूर्व विधायक और झारखंड आंदोलन के नेता शिवा महतो का 28 फरवरी की देर रात निधन हो गया। डूमरी के घुटवाली ग्राम में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। उनका भरापूरा परिवार है। पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिवा महतो की उम्र सौ वर्ष से अधिक थी। बताया गया कि सोमवार की दोपहर में उन्होंने आधी रोटी खायी थी। उम्र के इस पड़ाव में वह अस्वस्थ चल रहे थे।
डुमरी विधानसभा क्का तीन बार प्रतिनिधित्व किया
शिवा महतो डुमरी विधानसभा से 3 बार विधायक रहे हैं. एकीकृत बिहार विधानसभा में वे अपने गवाई अंदाज के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 1980, इसके बाद1985 और 1995 में डुमरी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। शिवा महतो अपने क्षेत्र में टाइगर के नाम से भी जाने जाते थे। उन्हें प्यार से लोग रियल टाइगर भी कह कर पुकारा करते थे। शिवा महतो अपने क्षेत्र की जनता के लिए दिन- रात खड़े रहते थे। लोगों की समस्या का समाधान करना है उनका मुख्य लक्ष्य था। स्वभाव से मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व के वह धनी व्यक्ति थे। कोई भी व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के उनसे मिल सकता था।
झारखंड आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया
वैसे तो शिवा महतो ने तीन बार गिरिडीह जिले की डुमरी विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने का गौरव हासिल किया। लेकिन उनकी पकड़ गिरिडीह जिले के हर विधानसभा क्षेत्र में था। पूरा जीवन उन्होंने जनता को समर्पित कर दिया था। लेकिन उम्र ज्यादा हो जाने के कारण वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे। बावजूद इसके वह जनता के हर सुख- दुख में साथ खड़ा रहते थे। यही वजह है कि उनके निधन के बाद डुमरी विधानसभा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पूरे गिरिडीह जिले में के लोग दुखी हैं। झारखंड अलग राज्य की लड़ाई में भी उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन और सूरज मंडल सरीखे नेताओं के साथ झारखंड आंदोलन को मुकाम पर पहुंचाया।