West Bengal News : देश के प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 6 अगस्त को दिल्ली में अमृत महोत्सव संबंधी बैठक हुई। इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बोलने का मौका नहीं मिला। गौरतलब है कि इस महोत्सव के लिए देश के सभी मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की एक समिति भी बनाई गई है। बैठक में ममता बनर्जी को बोलने नहीं देने को तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की अवमानना के रूप में लिया है। बता दें कि इस बैठक में राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई मुख्यमंत्रियों को बोलने का मौका दिया गया था, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री को बोलने नहीं दिया गया। उनके बदले बंगाल के कार्यवाहक राज्यपाल एलए गणेशन ने भाषण दिया।
ममता ने नहीं दी है कोई प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन तृणमूल नेता अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। उनके मुताबिक मुख्यमंत्री का एक तरह से अपमान किया गया है, जो पूरे बंगाल की जनता का अपमान है। मुख्यमंत्री के बजाय राज्यपाल से भाषण दिलाने का क्या मतलब है। अस्थायी राज्यपाल का बंगाल में बहुत ज्यादा ताल्लुक भी नहीं है। टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि अमृत महोत्सव में सीएम को बोलने का मौका नहीं दिया गया। यह बंगाल विरोधी मानसकिता है। सीएम को बोलने देने से वह बंगाल के बारे में बोलतीं, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया।