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डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्ट-अप स्थिरता के लिए शीघ्र उद्योग सम्पर्क की वकालत की

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्ट-अप स्थिरता के लिए शीघ्र उद्योग सम्पर्क की वकालत की

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New Delhi news : केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज स्टार्टअप्स की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए शीघ्र उद्योग सम्पर्क का आह्वान किया। उन्होंने एक सहयोगी वित्तपोषण दृष्टिकोण की वकालत की, जो नवाचार में जवाबदेही और साझा जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘एक संयुक्त निवेश मॉडल, जहां उद्योग और सरकार हाथ से हाथ मिलाकर काम करते हैं, आपसी प्रतिबद्धता की गारंटी देता है और सहयोग और साझा हिस्सेदारी पर निर्मित एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करता है।’
मंत्री ने आज नीति आयोग में अटल नवाचार मिशन (एआईएम) उच्चस्तरीय समिति की बैठक के दौरान एक मजबूत और समावेशी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने उद्यमिता को बढ़ावा देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ाने और स्टार्ट-अप को बनाये रखने तथा भारत के नवाचार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग सम्बन्धों को एकीकृत करने की दिशा में एआईएम 2.0 को एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया।
एआईएम 1.0 के तहत प्रयासों की सराहना करते हुए मंत्री ने इसकी सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद शुरू की गयी सक्षम नीतियों को दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास हमेशा से प्रतिभा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नीतियों ने परिवर्तन को उत्प्रेरित किया है, जिससे एआईएम जैसी पहल को फलने-फूलने में मदद मिली है।’
एआईएम 2.0 के मंत्रिस्तरीय ढांचे में परिवर्तन के बारे में चिंताओं को स्वीकार करते हुए मंत्री ने एक ऐसे ढांचे का आह्वान किया जो मिशन की बौद्धिक और रचनात्मक स्वतंत्रता को बनाये रखे। उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसे मॉडल की आवश्यकता है, जो नवाचार को बाधित किये बिना प्रयासों को पूरक बनाये।’ उन्होंने अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी जैसे अन्य क्षेत्रों में अपनाए गए हाइब्रिड ढांचे का सुझाव दिया।
मंत्री ने प्रकाशन प्रभाव, स्टार्ट-अप व्यवहार्यता और आजीविका सृजन जैसे प्रमुख सूचकांकों के आधार पर स्टार्ट-अप का मूल्यांकन करने के लिए एक आकांक्षात्मक ढांचे की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारे नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को अंतत: आजीविका बनाने में योगदान देना चाहिए अन्यथा इसका प्रभाव सीमित रहता है।’ डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए न्यू इंग्लैंड जर्नल आॅफ मेडिसिन जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित जीन थेरेपी परीक्षणों जैसी हालिया सफलताओं की ओर इशारा किया। उन्होंने उच्च-मानक प्रकाशनों के माध्यम से वैश्विक मान्यता के महत्त्व पर जोर दिया। भारतीय शोधकर्ताओं से आत्मविश्वास और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को लक्ष्य बनाने का आग्रह किया। समावेशिता के आह्वान के साथ मंत्री ने नवाचार के लिए भाषा-तटस्थ दृष्टिकोण की वकालत की, जिसमें भारत के विविध भाषाई परिदृश्य में समान अवसरों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
उन्होंने हितधारकों से अनुवाद चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया, जो अनजाने में क्षेत्रीय प्रतिभागियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अपने भाषण के अंत में डॉ. जितेंद्र सिंह ने एआईएम के भविष्य के बारे में आशा व्यक्त करते हुए एआईएम 3.0 और उससे आगे की दिशा में एक प्रगतिशील प्रक्षेप वक्र की कल्पना की। उन्होंने कहा, ‘नवाचार की हमारी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। मजबूत साझेदारी और विस्तारित पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, हमारा लक्ष्य भारत को नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।’

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