Gujarat News : साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान 5 माह की गर्भवती बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के 7 सदस्यों के हत्या मामले के सभी 11 दोषी 15 अगस्त को जेल से बाहर आ गए। राज्य सरकार की रेमिशन पॉलिसी (माफी नीति के तहत स्वतंत्रता दिवस पर सभी को रिहा कर दिया गया। सभी दोषियों ने 15 साल की सजा पूरी करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी रिहाई की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट से भी रिहाई की स्वीकृति मिल गई थी। इन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने साल 2004 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। किसी भी क्षमा नीति के तहत ऐसे बलात्कारियों की रिहाई के पीछे की भावना का मकसद कितना गंदा हो सकता है, इसे दिल से समझने की जरूरत है। वाकई यह रिहाई नारी सम्मान को शर्मसार करती है, जिसकी चर्चा पीएम मोदी ने स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर अपने भाषण में की थी।
सामूहिक दुष्कर्म की घटना
गोधरा कांड के बाद गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान लीमखेड़ा तहसील में बिल्किस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई थी। इस दौरान उनके परिवार के 7 सदस्यों की भी हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले की जांच की और 2004 में 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर मुंबई ले जाया गया था। सीबीआई की अदालत ने सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की उप जेल में स्थानांतरित कर दिया था।
गुजरात में 2002 में हुई थी सांप्रदायिक हिंसा
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग लगने से 59 लोग मारे गए थे। ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।